
-डॉ. अशोक प्रियरंजन
तुम्हारी आंखों में
देखे हैं मैने हजारों सपने,
जिंदगी का हर पल
महकता रहता है तुम्हारे सपनों से,
खुशियां खिलती हैं
फूट पड़ती हैं उनसे
इंद्रधनुषी सपनों की बेशुमार किरणें,
तब मन में जन्म लेती है एक इच्छा,
इन सपनों में भर दूं
अपने सपनों का इंद्रधनुषी रंग ।
बाल खुलते हैं
खुलकर बिखरते हैं,
फैल जाती है महक संपूर्ण वातावरण में ।
गमक उठती है सृष्टि,
भीनी भीनी सुगंध से ।
चेहरे का गोरापन,
सुंदरता, कोमलता,
लगने लगती है अधिक मोहक,
काले बालों से घिरकर ।
कई बार हवा कर देती है,
बालों को बेतरतीब ।
चाहता हूं मैं
अपनी उंगलियों से संवारूं
इन बालों को,
दे दूं मन के मुताबिक
एक नया आकार ।
मन जब होता है उदास,
घेर लेता है चारों तरफ से
जिंदगी का अकेलापन,
दिन रात की भागदौड़
निगलने लगती है खुशियां,
तब तुम्हारा अहसास ही
गाता है जिंदगी के गीत,
तुम्हारा रूप बिखेरता है चांदनी ।
तब करता है मन
सिर रख दूं तुम्हारी गोद में,
और आंखें निहारती रहें,
तुम्हारा चेहरा ।
तुम्हारा हंसना, मुस्कराना,
और बेसाख्ता खिलखिलाना ।
कर देता है जर्रे जर्रे को रोशन,
होंठों पर मानो खिल उठते हैं गुलाब ।
रोमानी संगीत लगता है गूंजने,
तब कहता है मन,
प्यार से गले लगाकर,
लिख दूं अपने अधरों से,
तुम्हारे अधरों पर,
जिंदगी की नई परिभाषा ।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)
24 comments:
सुन्दर शिल्प!
बेहतरीन रचना
प्रणय की अनुभूति और एहसास की सघनता
सुन्दर रूप के लिए बेहतरीन रचना....
बहुत खूब सुन्दर रचना बधाई
सुंदर प्रेम प्रणय की अनुभूति है आपकी रचना ... बधाई ........
Badhai !ek sunderata par sunder rachana kee .
mn meiN upjee prembhaavnaaoN ki
steek abhivyakti,,,shabd shabd shaasvat anuraag,,,hr taraf ek
sugandhit-sa vatavaran khil gya lagtaa mehsoos hota hai .
abhivaadan .
सिर रख दूं तुम्हारी गोद में,
और आंखें निहारती रहें,
तुम्हारा चेहरा ।
तुम्हारा हंसना, मुस्कराना,
और बेसाख्ता खिलखिलाना ।
कर देता है जर्रे जर्रे को रोशन
ashok ji...bahut achaa laga aapko padhker ..aise samay jab sambandho ki hatyeyen pratipal ho rehi hai aap prem ki kavita kerte hai yeh baat hi aapko vishist banati hai ...bhasha sahaj v uttam hai ..lekhni mein shudhta hai ...acha laga aapko padhker ....badhai
अच्छा लिखा है आपने ..शुक्रिया
sundar bhav se yukt behtrin rachna
बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने ! हर एक पंक्तियाँ दिल को छू गई!
तुम्हारी आंखों में
देखे हैं मैने हजारों सपने,
जिंदगी का हर पल
महकता रहता है तुम्हारे सपनों से,
सुंदर रचना के लिए बधाई स्वीकारें
डॉ.अशोक जी,
तब करता है मन
सिर रख दूं तुम्हारी गोद में,
और आंखें निहारती रहें,
तुम्हारा चेहरा ।
शायद ये वही सुकून है जिसकी तलाश में पुरी जिन्दगी भागते-दौड़ते बीत जाती है और ये लम्हें बस हाथों से दूर होते जाते हैं।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
सुन्दर कविता .तारीफ के लिए उपयुक्त शब्द नहीं मिल पा रहे हैं -निर्मल गुप्त
अशोक जी
सपने,खुशियां ,महक बिखेरती कविता .
सुंदर कल्पना है .
waah ...........kitni khoobsoorti se bhavon ko piroya hai........bahut hi sundar bhavbhini rachna.
Bahut achchi tarah se sanjoyi gai panktiya.wah.
बहुत खूब
ATI SUNDAR SNIGDH SOUMY MANOHARI PRANAY GEET.....
कोमल अहसासों की अद्भुत बानगी है इस रचना में । बहुत सुन्दर !
बहुत सुन्दर रचना..प्रेम के भावों से ओत - प्रोत .
सुन्दर रचना के लिए बधाई
इस सुन्दर सी प्रणय गीत के लिए धन्यवाद !
मन जब होता है उदास,
घेर लेता है चारों तरफ से
जिंदगी का अकेलापन,
दिन रात की भागदौड़
निगलने लगती है खुशियां,
तब तुम्हारा अहसास ही
गाता है जिंदगी के गीत,
तुम्हारा रूप बिखेरता है चांदनी ।
बहुत ही सुन्दर भावों को अच्छे शिल्प के साथ प्रस्तुत किया है आपन। हार्दिक शुभकामनायें।
pyar mein dubti-utarti sundar rachna..
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