
-डॉ. अशोक प्रियरंजन
आंखें करतीं झिलमिल, ओंठ खुशी से चहके,
मौसम ने ऐसा रंग बदला, गालों पर गुलमोहर महके ।
खुले केश लहरा लहरा कर करते हैं गलबहियां
गोरा मुखड़ा ऐसा लगता जैसे चंदा चमके ।
आंखें, खुशबू, रूप सलोना और नए मीठे कुछ सपने,
इतनी दौलत पाकर अब तो कदम खुशी से बहके ।
मैं लगता हूं तुम्हें पराया, तुम लगती हो मुझको अपनी
इस गुत्थी को सुलझाने में जाने कितने प्रश्न उभरते ।
दिल की गलती, आंख भुगतती, रात चांदनी जलती,
अरमानों में आग लगी है मन बेचारा हर पल दहके।
सुबह सुबह कुछ सपने टूटे, दिन लेकर आता उम्मीदें,
शाम उदासी देकर जाती, रात ठिठोली करती जमके ।
गीत तुम्हीं हो, गजल तुम्हीं हो, तुम्ही प्रेम की कविता
तुम आओ तो महके सांसें, याद तुम्हारी हर पल दमके ।
(फोटो गूगल सर्च से साभार)
6 comments:
गीत तुम्हीं हो, गजल तुम्हीं हो, तुम्ही प्रेम की कविता
तुम आओ तो महके सांसें, याद तुम्हारी हर पल दमके ।
बेहतरीन भाव है
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति के साथ आपने शानदार रचना लिखा है! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
आंखें करतीं झिलमिल,
ओंठ खुशी से चहके,
मौसम ने ऐसा रंग बदला,
गालों पर गुलमोहर महके ।
बहुत सुन्दर!
तपती गरमी में तुमने, अपना सौन्दर्य निखारा है।
किसके इन्तजार में तुमने, अपना रूप संवारा है।।
दूर गगन से सूरज, यह सुन्दरता झाँक रहा है।
बिना पलक झपकाये, इन फूलों को ताक रहा है।।
सुबह सुबह कुछ सपने टूटे, दिन लेकर आता उम्मीदें,
शाम उदासी देकर जाती, रात ठिठोली करती जमके ।
bhahut sundar laine. kuchh khatta - Kuchh Mitha.
Jindagi isi ka nam hai.
बहुत अच्छे भाव हैं , शुभकामनायें !
दिल की गलती, आंख भुगतती, रात चांदनी जलती,
अरमानों में आग लगी है मन बेचारा हर पल दहके।
bahut khoobsurat .....
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