Wednesday, October 1, 2008
इस देश के हालात से बापू उदास हैं
दंगे औ फसादात से बापू उदास हैं,
इस देश के हालात से बापू उदास हैं ।
सपनों की जगह आंख में है मौत का मंजर,
हिंसक हुए जजबात से बापू उदास हैं ।
बढते ही जा रहे हैं अंधेरों के हौसले,
जुल्मों की लंबी रात से बापू उदास है ं।
बंदूक बोलती है कहीं तोप बोलती,
हिंसा की शह और मात से बापू उदास हैं ।
तन पे चले खंजर तो कोई मन पे करे वार
हर पल मिले सदमात से बापू उदास हैं ।
आंसू कहीं बंटते तो कहीं दर्द मिल रहा,
ऐसी अजब सौगात से बापू उदास हैं ।
रंजन तुम्हारी आंख में क्यों आ गए आंसू,
इतनी जरा सी बात से बापू उदास हैं
-डॉ. अशोक प्रियरंजन
फोटो गूगल सर्च से साभार
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35 comments:
एकदम दिल से लिखा हुआ है और दिल को छू गया.
सच में देश की स्थिति चिंताजनक है.
दंगे औ फसादात से बापू उदास हैं,
इस देश के हालात से बापू उदास हैं ।
सपनों की जगह आंख में है मौत का मंजर,
हिंसक हुए जजबात से बापू उदास हैं ।
बढते ही जा रहे हैं अंधेरों के हौसले,
जुल्मों की लंबी रात से बापू उदास है ं।
वाह! बहुत ही सही लिखा है आपने. बधाई स्वीकारें.
तन पे चले खंजर तो कोई मन पे करे वार
हर पल मिले सदमात से बापू उदास हैं
सुंदर कविता
Bahut accha likha hai.
sach me Bapoo udas honge apne desh ki halat dekhkar.
बंदूक बोलती है कहीं तोप बोलती,
हिंसा की शह और मात से बापू उदास हैं ।
तन पे चले खंजर तो कोई मन पे करे वार
हर पल मिले सदमात से बापू उदास हैं ।
bahut hi badhiya rachana, aaj ke halat par.
Vishal Verma
बहुत सही .. बहुत खूब ....
जब तक मुल्क में एक भी आदमी भूख से सोएगा, जब तक बिना इलाज के लोग तड़प-तड़प कर मरते रहेंगे तब तक बापू के आंसू सूखेंगे भी कैसे।
बहुत बढिया डाक्टर साब,बहुत बढिया।दिल जीत लिया आपने।देश की कडवी हक़ीकत बयां कर दी आपने।
आपके रचनात्मक ऊर्जा के हम क़ायल हुए.आपका यह ब्लॉग सफलता की नई-नई ऊँचाइयों को छुए. यह ब्लॉग प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.
समाज और देश के नव-निर्माण में हम सब का एकाधंश भी शामिल हो जाए.
यही कामना है.
कभी फुर्सत मिले तो मेरे भी दिन-रात देख लें.
http://shahroz-ka-rachna-sansaar.blogspot.com/
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
शानदार रचना आपके आगमन के लिए धन्यबाद मेरी नई रचना शेयर बाज़ार पढने आप सादर आमंत्रित हैं
कृपया पधार कर आनंद उठाए जाते जाते अपनी प्रतिक्रया अवश्य छोड़ जाए
achchhi kavita hai. kam se kam isi bahane yaad karlen hum
achchhi kavita hai. kam se kam isi bahane yaad karlen hum
आपके परिवार, मित्रों एवं ब्लाग-मंडली को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
सीख लिया है तुमने गज़ल का लिखना
अब इसे तर्रन्नुम में सुनाना सीखिये.
बहुत बहुत आभार आपका....
बहुत ही अच्छा....दिल को छू गया
एकदम सत्य कहा.......भावपूर्ण सशक्त पंक्तियाँ.....लिखते रहें..शुभकामनाएं.
बढते ही जा रहे हैं अंधेरों के हौसले,
जुल्मों की लंबी रात से बापू उदास है ं।
... बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
dil mei sidhe utar gai bina ruke.....
मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑
आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन
सपनों की जगह आंख में है मौत का मंजर,
हिंसक हुए जजबात से बापू उदास हैं ।
बढते ही जा रहे हैं अंधेरों के हौसले,
जुल्मों की लंबी रात से बापू उदास है ं।
बंदूक बोलती है कहीं तोप बोलती,
हिंसा की शह और मात से बापू उदास हैं ।
अशोक जी
बहुत सुंदर रचना लिखी है
सच बापू अगर आज के हालात देखले तो
ऐसे ही उदास हो जाते
बधाई
नीरा
आंसू कहीं बंटते तो कहीं दर्द मिल रहा,
ऐसी अजब सौगात से बापू उदास हैं ।
रंजन तुम्हारी आंख में क्यों आ गए आंसू,
इतनी जरा सी बात से बापू उदास हैं
बहुत ही अच्छी रचना है...आपने देश के हालत के बारे में बहुत सही लिखा है!!!
बढ़िया रचना है अशोक जी। महापुरुफों की आत्मा जरूर दुखती होगी..देश के हालात देखकर।
आज आपके ब्लॉग आने का अवसर मिला... आपकी ये सच्चाई बयां करनेवाली कविता पढने मिली.... इसमें आपने भारत के बापू का जो वर्णन किया है बेहद सटीक तरीके से एकदम सही प्रकार से किया है.... आज के हालातों को देखकर तो बापू भी सोच रहे होंगे कि क्या हमने इसी दिन के लिए अपनी कुरबानियां दी थी।
जय हिंद
जयश्री वर्मा
......अद्भुत, भावों की सरस अभिव्यंजना. कभी हमारे 'शब्दशिखर' www.shabdshikhar.blogspot.com पर भी पधारें !!
bahut hi achchee kavita.
nav-varsh ki shubhkamnayen
hello sir.....
very beautifully poetic lines on a very serious issue and surely bapu will be sad undoubtedly..bcoz he would have never thought that for the country he has devoted his whole life will see such inglorious days ahead..that are really frustrating and shameful..
and thanks for ur comment sir..
dil mein utar gaye aapke bhaav
haan bapu udas hai ..
too good..
nice poem .
aapki ye rachna sochne par majboor karti hai.....apne maksad me kamyaab hui hai aapki ye rachna
vakai desh ke haalton se baapu to kya har desh bhakt udaas hai...dil ko chune wali rachna.
Dil ko chu gai aapki ye rachna.
aabhar.
बढते ही जा रहे हैं अंधेरों के हौसले,
जुल्मों की लंबी रात से बापू उदास हैं।
कमाल की ग़ज़ल है और दिल की आवाज़ को शब्द देती है। ग़ज़ल की सफलता मैं इसे मानता हूँ कि पढ़नेवाले को उसके शे'र याद करने लायक लगें। यह वैसी ही है। बधाई।
bhut khub ashok ji .....
mera blog dekhne ke liye bahut bahut dhyanwad ....meri lekini ko appke margdarshan ki sada zarurat rehegi
dhaynwad http://ashish-ritu.blogspot.com/
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